Saturday, December 27, 2008
मां
मेरी पल पल "मां" तूं हॅ,
मेरा आत्मबल "मां" तू हॅ,
मेरा पथ-प्रकाश "मां" तू हॅ,
मेरे सर पे आकाश "मां" तू हॅ
मेरा समग्र अस्तित्व "मां"तू हॅ,
मेरा पूर्ण व्यक्तित्व "मां"तू हॅ,
पालवकी सुगंध "मां" तू हे,
मेरी पलकोमें बंध "मां"तू हे,
आत्माकी आवाज "मां" तू हॅ,
मेरे खूदाकी नमाज "मां" तू हॅ,
नस-नस का खून "मां" तू हॅ,
खूश्बु से भरा प्रसून "मां" तू हॅ.
रेखा जोशी.
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3 comments:
अति सुंदर...मा के उपर कोई भी रच्ना हो लिखने वाला और पढ्नेवाला दोनो दिल से ही लेते है..उस्के जेसा कोई नही दुनियामें जितना लिखो कम है..
माँ के सामने सब और कुछ ...कुछ भी नहीं है...
very nice poem !!!
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