Saturday, December 27, 2008

जल रही बम्बई सब कितने लाचार
सभीको सुरक्षा का हे ईन्तझार
कल खडी हो जायेगी ओबरोय-ताज
कब भरेगी मानव-मानवकी दरार
आज मिल रही सफलता विग्यानको
प्रतिक्षन हो रही मानवता की हार
फंस रहे हे लोग जाति-पाति में
टूटता नझर आ रहा एकता का तार
बनी रहे अखंड विश्वकी भावना
अल्ला,खुदा,ईश्वर तुझ पर आधार.

1 comment:

નીતા કોટેચા said...

नेता ओ ने हमें जुदा किया
और
आतंकवादी ओ ने हमें एक किया...