Tuesday, September 8, 2009

आसमानकी तरह खूला मन,
शांत चिंतामूक्त मानव जीवन,
देखो पंछी गाते गगन-गोदमें
खूशियों से गूंज उठा मधूवन

रेखा जोषी९-९-२००९